सैंकड़ों करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किए गए सैंट्रल हलका से विधायक रमन अरोड़ा के केस में उस समय नया मोड़ आ गया, जब विधायक अरोड़ा के वकील द्वारा हाईकोर्ट में खुद की जमानत के लिए रैगुलर बेल एप्लीकेशन दायर की है। हालांकि अब तक उन्हें इस बेल एप्लीकेशन पर सुनवाई संबंधी तारीख ग्रांट नहीं हुई है। लेकिन विधायक रमन अरोड़ा के समर्थकों एवं परिजनों द्वारा उनकी जमानत पर संबंधी एड़ी-चोटी का जोर लगाया जा रहा है।
वहीं, सूत्रों की मानें तो विजीलैंस द्वारा हाईकोर्ट में पेश होकर विधायक रमन अरोड़ा के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश कर एवं सरकारी वकील के साथ मिलकर उनकी जमानत रिजैक्ट कराने की पूरी तैयारी करने में जुट चुकी है क्योंकि जितना बड़ा स्कैंडल विधायक अरोड़ा एवं उनके समर्थकों द्वारा किया गया है, उस मामले को लेकर सरकार इस मामले में सख्त रवैया अपनाने की मूड में है क्योंकि जिस तरह पहले ही मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान द्वारा खुद के ही विधायक के खिलाफ जो कार्रवाई की गई है, उससे पंजाब के बाकी विधायक तो पहले ही सकते में पड़ चुके हैं। हालांकि दूसरी ओर विधायक रमन अरोड़ा के समधी राजू मदान की जमानत पर 5 अगस्त को सुनवाई है।
अब देखना यह है कि जिस तरह समधी राजू मदान की जमानत पर सुनवाई से पहले तक हाईकोर्ट द्वारा विजीलैंस को उन्हें अरैस्ट स्टे के ऑर्डर किए हैं, क्या 5 अगस्त को उनकी जमानत होगी या रिजैक्ट होगी? गौरतलब है कि 23 मई की सुबह मंदिर में माथा टेकते वक्त अचानक विजीलैंस की टीम ने विधायक रमन अरोड़ा को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया। हालांकि पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा खुद के विधायक के खिलाफ मामला दर्ज करना और बाद में उसकी गिरफ्तारी के बाद राजदार महेश मखीजा, महिला इंस्पैक्टर को गिरफ्तार किया गया था। विधायक रमन अरोड़ा द्वारा शहर में एक सोची-समझी रंगदारी का नैटवर्क नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से चलाया जा रहा था, जिसमें ए.टी.पी. सुखदेव वशिष्ठ द्वारा निर्माणाधीन बिल्डिंगों के मालिकों को नोटिस भेजकर बाद में उन्हें तंग-परेशान करके विधायक रमन अरोड़ा के पास भेजा जाता था। बाद में विधायक खुद ही सैटिंग करके बिल्डिंगों की सील खुलवा दिए करते थे और लाखों रुपए की सौदेबाजी उनके दफ्तर में बैठकर चल रही थी।