Sunday, August 3, 2025
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रूस के बाद भारत के इस पड़ोसी देश में लगे भूकंप के तेज झटके, डरे सहमे लोग घरों से निकले बाहर

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रूस के बाद अब भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान में एक बार फिर ज़मीन कांप उठी। शनिवार, 2 अगस्त को हिंदू कुश पर्वतीय क्षेत्र में भूकंप के तेज़ झटके महसूस किए गए, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.5 मापी गई। हालांकि बाद में कुछ रिपोर्टों में तीव्रता 5.0 भी बताई गई।

कहां और कितनी गहराई में था भूकंप?

यूरोपीय-भूमध्यसागरीय भूकंप विज्ञान केंद्र (EMSC) के अनुसार: भूकंप का केंद्र हिंदू कुश इलाके में 114 किलोमीटर की गहराई पर था, जिससे झटका अपेक्षाकृत कम नुकसानदेह माना गया। किसी जान-माल के नुकसान की अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है।

एक हफ्ते में चौथी बार कांपी ज़मीन

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के अनुसार, अफगानिस्तान में बीते सात दिनों में चार बार भूकंप महसूस किया गया है। लगातार आ रहे इन झटकों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है और अफगानिस्तान को एक बार फिर से भूकंपीय खतरे के केंद्र में ला खड़ा किया है।

क्यों आता है बार-बार भूकंप?

अफगानिस्तान का हिंदू कुश क्षेत्र भूकंपीय दृष्टि से दुनिया के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है। यह इलाका भारतीय और यूरेशियन टेक्टॉनिक प्लेटों के मिलन बिंदु पर स्थित है, जहाँ पर आए दिन धरती के भीतर तनाव और कंपन पैदा होते हैं। यही कारण है कि यहां 7.0 या उससे अधिक तीव्रता वाले बड़े भूकंप भी समय-समय पर दर्ज किए जाते रहे हैं।

UNOCHA ने जताई गहरी चिंता

संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (UNOCHA) ने अफगानिस्तान की हालिया भूकंपीय गतिविधियों पर गंभीर चिंता जाहिर की है। UNOCHA की रिपोर्ट के अनुसार: अफगानिस्तान के कमजोर और संघर्ष-प्रभावित समुदाय प्राकृतिक आपदाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। देश में दशकों से चली आ रही राजनीतिक अस्थिरता, गरीबी और अविकसित बुनियादी ढांचे के कारण राहत और पुनर्वास का कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है। लगातार भूकंप, मौसमी बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाएं लोगों के लिए दोहरी मार बनकर सामने आ रही हैं।

चेतावनी और तैयारी

भले ही इस बार कोई नुकसान दर्ज नहीं हुआ हो, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह इलाका भविष्य में भी बड़े भूकंपों के खतरे में बना रहेगा। भारत समेत दक्षिण एशिया के अन्य देशों को भी सतर्कता बरतने की जरूरत है, क्योंकि हिंदू कुश क्षेत्र में आने वाला शक्तिशाली भूकंप पूरे उपमहाद्वीप में असर डाल सकता है—जैसा कि अप्रैल 2025 में देखा गया था जब दिल्ली-एनसीआर में भी झटके महसूस हुए थे।

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