नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने एक फैसले में कहा कि राज्य विधानसभाएं और संसद उपभोक्ताओं को दी जाने वाली डीटीएच सेवाओं पर मनोरंजन और सेवा कर लगा सकती हैं।
पीठ ने कहा कि प्रसारण एक सेवा है
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि प्रसारण एक सेवा है और संसद संविधान की दूसरी सूची की प्रविष्टि 62 के तहत मनोरंजन की गतिविधि पर सेवा कर लगा सकती है। यह प्रविष्टि विलासिता पर करों से संबंधित है जिसमें मनोरंजन, मौज-मस्ती, सट्टेबाजी और जुए पर कर शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब प्रसारणकर्ता दर्शकों के टीवी सेट पर किसी प्रदर्शन, फिल्म या किसी कार्यक्रम की तात्कालिक प्रस्तुति के लिए सिग्नल प्रसारित करता है, तभी दर्शकों का मनोरंजन हो सकता है।
पीठ ने कहा कि इस तरह इस गतिविधि में दो पहलू शामिल हैं, पहला ग्राहकों को सामग्री के सिग्नल को प्रसारित करना। दूसरा पहलू न केवल सिग्नल की सामग्री बल्कि सेट-टॉप बॉक्स और उसके भीतर मौजूद व्यूइंग कार्ड द्वारा सिग्नल को सामग्री के रूप में परिवर्तित करने से संबंधित है।
ग्राहक प्रेषित सामग्री को नहीं देख पाएगा
कोर्ट ने कहा कि सिग्नल को सामग्री के रूप में बदलने वाला उपकरण न दिए जाने पर ग्राहक प्रेषित सामग्री को नहीं देख पाएगा। इस तरह डीटीएच प्रणाली के जरिये मुहैया कराया जाने वाला टीवी मनोरंजन दूसरी सूची की प्रविष्टि 62 के अर्थ में एक विलासिता है।