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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने CPI(M) विधायक के चुनाव मामले में केरल हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया। SC ने सीपीआई (एम) विधायक ए. के 2021 के चुनाव को अमान्य करार देने के फैसले को खारिज कर दिया।
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने ए राजा के चुनाव को बरकरार रखा और उनके खिलाफ दायर चुनाव याचिका को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने दी कई सुविधाएं
पीठ ने उन्हें केरल विधानसभा के सदस्य के रूप में सभी परिणामी लाभ भी प्रदान किए, जो सीपीआई (एम) नेता ने हाईकोर्ट द्वारा उनके चुनाव को रद करने के कारण खो दिए थे। पीठ ने उच्च न्यायालय के 23 मार्च, 2023 के फैसले के खिलाफ राजा की अपील को स्वीकार कर लिया।
इससे पहले कोर्ट में फैसला सुनाया गया था कि वह केरल राज्य के भीतर ‘हिंदू परायण’ समुदाय के सदस्य नहीं थे और इसलिए अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के योग्य नहीं थे।
चुनाव को क्यों घोषित किया अमान्य?
राजा के नामांकन को प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार डी. कुमार ने चुनौती दी थी, जिन्होंने तर्क दिया था कि राजा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 5 के तहत पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं। अधिनियम के अनुसार, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को उस विशिष्ट राज्य के भीतर ऐसे समुदाय से संबंधित होना चाहिए।
वहीं इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल किया था कि राजा के जाति प्रमाण पत्र की वैधता को सीधे तौर पर हाईकोर्ट में चुनौती क्यों नहीं दी गई, जिससे इस बात पर संदेह पैदा हो गया था कि हाईकोर्ट ने किस आधार पर उनके चुनाव को रद्द किया था।