ओबीसी आरक्षण को लेकर की टिप्पणी
बता दें कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव आखिरी बार 2016-2017 में हुए थे। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उम्मीदवारों के लिए कोटा को लेकर कानूनी लड़ाई में पदों पर देरी का मुख्य कारण रहा था। 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत कोटा लागू करने के महाराष्ट्र सरकार के अध्यादेश को रद कर दिया।
याचिकाकर्ता ने क्या दी थी दलील?
उन्होंने तर्क दिया कि राजनीतिक पिछड़ापन सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन से अलग है और ओबीसी को स्वचालित रूप से राजनीतिक रूप से पिछड़ा नहीं माना जा सकता।
जो लोग बोगी में घुस गए, वो…
आरक्षण के कारण स्थानीय निकायों के चुनाव में देरी क्यों?
न्यायमूर्ति कांत ने मौखिक रूप से कहा कि जब आप समावेशिता के सिद्धांत का पालन करते हैं, तो राज्य अधिक वर्गों की पहचान करने के लिए बाध्य होते हैं। सामाजिक रूप से पिछड़ा वर्ग, राजनीतिक रूप से पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग होगा। उन्हें लाभ से वंचित क्यों रखा जाना चाहिए? इसे एक विशेष परिवार या समूहों तक ही सीमित क्यों रखा जाना चाहिए?
सुनवाई के दौरान, पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र राज्य में स्थानीय निकायों के लंबे समय से लंबित चुनावों को ओबीसी आरक्षण के मुद्दे के कारण और विलंबित नहीं किया जा सकता है। पीठ ने राज्य के विचार सुनने के लिए सुनवाई टाल दी।