श्योपुर |
‘इस प्रकार के अमानवीय कृत्य के लिए समाज में कोई जगह नहीं है। यह न केवल पीड़ित की आत्मा को छलनी कर देता है, बल्कि उसकी आत्मा को भी झकझोर देता है। ऐसे अपराधियों को सख्त दंड देना चाहिए, जिससे समाज मे ऐसा संदेश जाए कि इस प्रकार के अपराध दोबारा न हों। इस तरह के व्यक्ति किसी भी स्थिति में न्याय के कृपापात्र नहीं हो सकते।’
यह टिप्पणी श्योपुर जिला कोर्ट की विशेष न्यायाधीश बबीता होरा शर्मा ने की है। कोर्ट ने 13 साल की बच्ची से दुष्कर्म के मामले में 30 अप्रैल को फैसला सुनाया है। इसके मुताबिक आरोपी 52 साल के सौतेले पिता को अंतिम सांस तक जेल में रहना होगा।
मामला बड़ौदा थाना क्षेत्र का है। 1 जुलाई 2023 से 21 मई 2024 तक आरोपी ने अपनी सौतेली बेटी से कई बार दुष्कर्म किया था। मामला तब सामने आया, जब पेट दर्द की शिकायत पर परिजन उसे अस्पताल ले गए, जहां जांच के दौरान 15 सप्ताह का गर्भ मिला। ग्वालियर हाईकोर्ट के आदेश के बाद बच्ची का जयारोग्य चिकित्सालय में गर्भपात कराया गया था।
शासन की ओर से पैरवी डीपीओ आरके बरैया, विशेष लोक अभियोजक ऋचा शर्मा (पॉक्सो) और एडीपीओ हरिओम शर्मा ने की।
‘अदालत में केस लड़ना तो मेरा पेशा है, लेकिन जब इस बच्ची का केस मिला, तो एक औरत होने के नाते मेरी अंतरात्मा तक हिल गई। 13 साल की लड़की से रेप का केस था, बच्ची गर्भवती थी। सबसे ज्यादा दुख की बात तो ये थी कि आरोपी कोई और नहीं उसका पिता था।’
केस स्टडी कर बच्ची से भी बात की। लड़की का पिता उससे 10 महीने से दुष्कर्म कर रहा था। यहां तक कि मामला दर्ज होने के एक दिन पहले भी रेप किया गया था। लड़की ने मुझे बताया था कि जब उसके पिता ने पहली बार गलत काम किया था, तभी से उसे शारीरिक रूप से परेशानी हो रही थी, लेकिन आरोपी उसे डरा-धमकाकर मनमानी करता रहा।
मेडिकल रिपोर्ट, डीएनए रिपोर्ट और फिजिकल एविडेंस सब लड़की के सौतेले पिता के खिलाफ थे। लड़की पढ़ी-लिखी भी नहीं थी। उसने महिला पुलिस को जो बयान दिए थे, जब मैंने उसे पढ़ा, तो बेचैन हो गई। रात को सोने जाती तो ऐसा लगता था कि वो मुझे अपनी पीढ़ा सुना रही है। कानों में पढ़ी हुई बातें गूंजती थीं।’
13 साल की बच्ची ने महिला पुलिस को बताया था कि उसकी दो बहनें हैं। सबसे बड़ी वो खुद थी। पिता की मौत के बाद मां ने दूसरी शादी कर ली। मां के साथ तीनों बहने सौतेले पिता के साथ खेत में बनी टपरिया में रहने लगीं। पति-पत्नी और बच्चियां खेत में काम करतीं।
पीड़ित बच्ची ने पुलिस को बताया था कि जब उसके साथ पहली बार सौतेले पिता ने दुष्कर्म किया, तब सावन का महीना चल रहा था। खेत में धान की बुवाई चल रही थी। उस रोज सब लोगों को खेत में काम करते-करते शाम हो गई थी। मां खाना बनाने टपरिया में चली गईं।
मैं और सौतेला पिता खेत पर ही थे। अंधेरा हो गया, रात के करीब सात-आठ बजे होंगे। दिन भर काम करने के बाद थक गई थी। खेत की मुंडेर पर रखी खाट पर आकर बैठ गई। थोड़ी देर में पापा भी आ गए। वो मेरे सामने इधर-उधर टहलने लगे। मुझे लगा कि शायद वे टपरिया पर चलने कहेंगे, लेकिन वे मेरे बगल में खाट पर आकर बैठ गए।
मैं कुछ समझ ही नहीं पाई, उन्होंने मुंह दबाकर खाट पर पटक लिया। अपने आपको छुड़ाने और चिल्लाने की कोशिश की, लेकिन मुंह दबा होने के चलते आवाज ही नहीं निकली। बेसुध हो गई। थोड़ी देर बाद होश आया तो अपनी हालत देख डर गई, रोने लगी। उसने मुझे डराया, मार डालने की धमकी दी। हम सबको जान से मारने कहा।
आधे-एक घंटे बाद वो मुझे घर लेकर आया। डर के मारे चुपचाप खाना खाया और सो गई।
उस दिन के बाद तो वो बेखौफ हो गया। टपरिया, खेत या कहीं भी सुनसान जगह जहां मैं अकेली होती गलत काम करता। कई बार रात को मां को खेत की रखवाली के लिए भेज देता और मुझसे फिर गलत करता। उसे ऐसा करते-करते कई महीने हो गए।
पिछले साल 21 मई की बात है। सुबह के आठ-नौ बज रहे होंगे। उसे गेहूं लेने पास ही के गांव जाना था। मेरे ना चाहते हुए भी वो मुझे अपने साथ ले गया। अपने खेत में बनी टपरियां से चले हुए आध-एक घंटा ही हुआ होगा। हम एक नाले के पास थे। उसने मेरे साथ नाले के पास फिर गलत काम किया।
मां ने सौतेले पिता के साथ मुझे डॉक्टर के पास भेजा। वो मुझे लेकर बडौदा के सरकारी अस्पताल आ गया। मेरी जांच के बाद डॉक्टरों ने पुलिस को बुला लिया। पुलिस वाले श्योपुर अस्पताल ले गए। मैं समझ नहीं पा रही थी कि ये सब क्या हो रहा है।
श्योपुर के सरकारी अस्पताल में एक महिला और एक पुरुष डॉक्टर ने मेरा चेकअप किया। कई तरह से मेरी जांच की पेट चैक किया। इसके बाद मेरे पेट की मशीन ( सोनाेग्राफी) से जांच हुई।
डॉक्टर मैडम ने मुझे बताया कि मेरे पेट में बच्चा है। मां को बुलवाया गया। उनसे पूछताछ हुई। मैं दूसरे कमरे में बेड पर लेटी थी। थोड़ी देर बाद मां आईं। उन्होंने मुझसे पूछा। मैं उनके गले मिल रोने लगी। बताया कि अगर मैं कुछ कहूंगी, तो वो हम सब को मार डालेगा। उन्होंने हिम्मत दी। इसके बाद मेरे साथ 10 महीने से हो रहा था, वो सब मां को बता दिया।
पुलिस जब मां से पूछताछ कर रही थी, उस समय मेरा सौतेला पिता घबरा सा गया। डॉक्टर मैडम ने हमें पुलिस के साथ थाने भेज दिया। वहां पुलिस ने लिखा-पढ़ी की। पुलिस ने मेरे साथ गलत काम करने वाले मेरे सौतेले पिता को गिरफ्तार कर लिया।
मैं समझ नहीं पा रही थी कि आगे क्या होगा। 15-20 दिन के भीतर कई जांच हुई। एक-दो बार ग्वालियर में भी जांच हुई। हाईकोर्ट के आदेश के बाद मेरे पेट की सफाई की गई।