Monday, August 4, 2025
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गुना में अभ्युदय जैन ने आत्महत्या की थी:एसआईटी जांच में सामने आया सच, मां हत्या के आरोप में 57 दिन से जेल में

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गुना |

गुना में 14 साल के अभ्युदय जैन की मौत के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। एसआईटी जांच में स्पष्ट हो गया है कि यह हत्या नहीं, आत्महत्या का मामला था। जिला अस्पताल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और जल्दबाजी में की गई पुलिस विवेचना के चलते मां अलका जैन को बेटे की हत्या का आरोप लगाकर जेल भेज दिया गया था। पुलिस अब केस में खारिज रिपोर्ट लगाने की तैयारी कर रही है।

बेटे को खोने के दुख में डूबी अलका बीते 57 दिन से जेल में है। 14 फरवरी 2025 की शाम आठवीं का छात्र अभ्युदय अपने घर के बाथरूम में टॉवल हैंगर से लटका मिला था। दरवाजा अंदर से बंद था। मां अलका बैडमिंटन खेलने गई थी। शाम करीब पौने 8 बजे लौटी तो दरवाजा नहीं खुला। मकान मालिक से चाबी लेकर अंदर गई, जहां बेटे को फंदे पर पाया।

पीएम रिपोर्ट में थी गला घाेंटने की बात जिला अस्पताल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अभ्युदय की मौत का कारण गला घोंटना बताया गया था। इसके आधार पर पुलिस ने इसे हत्या मानते हुए 22 फरवरी को अज्ञात आरोपी के खिलाफ केस दर्ज किया। प्रारंभिक जांच के बाद 8 मार्च को अलका को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

अलका ने अपराध स्वीकार नहीं किया। पति अनुपम जैन ने 11 बिंदुओं पर डीजीपी को शिकायत दी। इसी के बाद डीआईजी अमित सांघी ने जांच के लिए एसआईटी बनाई ​थी।

मां घर पर नहीं थी, दरवाजा अंदर से बंद जांच के दौरान एसआईटी ने गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल से नई मेडिको लीगल रिपोर्ट मंगाई। मौत की वजह ‘पार्शियल हैंगिंग’ यानी फांसी बताई गई। कॉल डिटेल से पता चला कि मौत के समय अलका लगातार फोन पर थी। सिर्फ 20 मिनट का ऐसा अंतराल था, जिसमें कॉल नहीं हुआ। इस दौरान हत्या करना और सीन बनाना संभव नहीं था।

घर का दरवाजा अंदर से बंद था और चाबी भी भीतर ही टेबल पर रखी मिली यानी कोई बाहर से अंदर नहीं गया।

पढ़ाई को लेकर तनाव में था अभ्युदय अभ्युदय दो विषयों में फेल हो गया था। जिस दिन उसकी मौत हुई, उसी दिन हिंदी के पेपर में उसे 80 में से सिर्फ 28 नंबर मिले थे। एसआईटी रिपोर्ट में कहा गया है कि माता-पिता उससे प्यार करते थे, पर पढ़ाई को लेकर चिंतित रहते थे। संभवत: इसीलिए उसने आत्महत्या की।

शुरुआती जांच में ये खामियां रहीं जिला अस्पताल की पीएम रिपोर्ट में मौत का कारण ‘स्ट्रेंगुलेशन’ लिखा था, जिससे पुलिस ने इसे हत्या माना। पेट में मिले भोजन के आधार पर पुलिस ने मौत का समय दोपहर 2:30 बजे के आसपास तय किया, जबकि अलका घर पर करीब पौने चार बजे तक थी।

अलका के घर की चाबी अंदर टेबल पर ही मिली थी। यानी दरवाजा अंदर से बंद किया गया था, बाहर से कोई नहीं आया।

शुरुआती जांच में पुलिस ने कुछ लोगों के बयान लिए, जिनमें कहा गया कि मां-बेटे में विवाद हुआ था। अलका ने ‘धम-धम’ की आवाजें दबाने के लिए चक्की चलाई। अल्का ने बताया कि उस दिन कुछ लोग खाना खाने आने वाले थे, इसलिए उन्होंने गेहूं पीसने के लिए चक्की चलाई थी। घर में पिसा हुआ गेहूं मिला। चौकीदार ने धम-धम की आवाज तो सुनी लेकिन किसी विवाद की नहीं।

विशेषज्ञों से राय लेने पर सामने आया कि भोजन के आधार पर मौत का समय तय करना वैज्ञानिक रूप से उचित नहीं है।

एसपी बोले- केस में खारिजी लगाएंगे एसआईटी रिपोर्ट के सामने आने के बाद गुना एसपी अंकित सोनी ने कहा- डॉक्टरों की रिपोर्ट में स्ट्रेंगुलेशन का जिक्र था। लिखा था कि पुलिस ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य देखे हैं। इसके आधार पर हत्या का केस दर्ज किया गया।

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