नई दिल्ली।
केरल के गोपालन चंद्रन की 42 साल बाद वतन वापसी हुई है। इसी के साथ बेटे को एक बार देखने और गले लगाने के लिए चार दशक से इंतजार कर रही उनकी बूढ़ी मां का इंतजार भी खत्म हो गया।
गोपालन 1983 में रोजगार की तलाश में बहरीन गए थे और फिर पासपोर्ट खो जाने से वहां फंस गए थे। प्रवासी लीगल सेल (PLC) ने सोशल मीडिया पोस्ट में 74 वर्षीय गोपालन चंद्रन की पूरी कहानी और वापसी की जानकारी दी।
कौन हैं गोपालन चंद्रन?
गोपालन चंद्रन केरल के त्रिवेंद्रम के पास पावडिकोणम के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं। गोपालन परिवार की पालन-पोषण के लिए अच्छी नौकरी की तलाश में 16 अगस्त, 1983 को बहरीन पहुंचे थे। वे जब भारत से जा रहे थे, तब किसी युवा की तरह उनकी आंखों में भी बेहतर जिंदगी के ख्वाब और कुछ भविष्य की योजनाएं थीं, जबकि नियति को कुछ और ही मंजूर था।
गोपालन बहरीन में कैसे फंस गए?
गोपालन चंद्रन के बहरीन पहुंचने के बाद उनके नियोक्ता (गोपालन को बहरीन बुलाने वाला शख्स) की असामयिक मौत हो गई। इसी के साथ नियोक्ता के पास जमा उनका पासपोर्ट व अन्य जरूरी दस्तावेज भी चले गए।
ऐसे में पासपोर्ट समेत अन्य जरूरी दस्तावेज न होने के चलते गोपालन चंद्रन आव्रजन प्रणाली के आधिकारिक रिकॉर्ड से बाहर हो गए। ऐसे में भारत लौटने की सारी उम्मीदें भी धूमिल हो गईं। परदेश में बिना पहचान और सहारे के रहना गोपालन के लिए किसी सजा से कम नहीं था।
प्रवासी लीगल टीम बनी फरिश्ता
इस बीच गोपालन ने यदा-कदा किसी तरह देश लौटने के लिए हाथ-पैर भी मारे थे, लेकिन कानूनी शिकंजे में फंसकर सालों-साल जेल में पड़े रहने के डर से शांत हो जाते थे। कानूनी रूप से अधर में लटकी जिंदगी जीते हुए गोपालन ने गुमनानी को अपनी किस्मत मान लिया था।
गोपालन चार दशक बाद प्रवासी लीगल सेल (PLC) के बहरीन चैप्टर के अध्यक्ष सुधीर थिरुनीलथ की टीम के संपर्क में आए। जब प्रवासी लीगल सेल (PLC) को उनकी पूरी कहानी पता चली तो संगठन के सदस्यों ने गोपालन की मदद करने और उनको वतन लाने की ठानी।
PLC के बहरीन चैप्टर के अध्यक्ष सुधीर थिरुनीलथ की टीम ने बहरीन में भारतीय दूतावास और वहां के इमिग्रेशन विभाग से संपर्क साधा। वर्षों पुरानी नौकरशाही की उलझनों को हल करते हुए उन्होंने गोपालन चंद्रन को कानूनी पहचान दिलाई, उन्हें रहने के लिए जगह और चिकित्सा सेवा मुहैया कराई और उनके परिवार से संपर्क स्थापित किया।
इस तरह गोपालन चंद्रन की वतन वापसी हो पाई। पीएलसी ने गोपालन की वतन वापसी करवाकर न सिर्फ गोपालन को, बल्कि उनके परिवार को भी एक नई जिंदगी दे दी है।
बता दें कि प्रवासी लीगल सेल (PLC) सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, वकीलों और पत्रकारों का एक गैर सरकारी संगठन है। यह संगठन विदेशों में अन्याय का सामना करने वाले भारतीयों के अधिकारों के लिए काम कर रहा है।