विवेचना में सामने आए ये तथ्य

सीआईडी ने विवेचना में राजू गुप्ता की पिटाई के समय सिकंदरा थाने में मौजूद पुलिसकर्मियों को गैर इरातदन हत्या और अवैध हिरासत का आरोपित माना। इसमें इंस्पेक्टर ऋषिपाल सिंह , दरोगा ज्ञानेंद्र शर्मा, दरोगा तेजवीर सिंह, मुख्य आरक्षी राम किशन, देवेंद्र सिंह, राकेश कुमार, रणजीत, आरक्षी हरीश चंद्र, बृजेश कुमार, कंप्यूटर आपरेटर हिमांक कुमार, आरक्षी संजीव कुमार, राजेश, सतेंद्र सिंह, संजीव, अनिल कुमार, योगेश कुमार और आरक्षी चालक संजय कुमार आरोपित बनाए गए हैं। कुछ पुलिसकर्मियों की आगरा से बाहर तैनाती है। कुछ अभी भी कमिश्नरेट में तैनात हैं।

सीआईडी ने चार्जशीट तैयार कर अभियोजन की स्वीकृति को फाइल मुख्यालय भेज दी है। मुख्यालय की स्वीकृति के बाद पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी हो सकती है। सभी को अपनी जमानत करानी पड़ेगी। सीआइडी की चार्जशीट में अंशुल प्रताप सिंह और अनुज सिरोही और विवेक भी शामिल हैं।

बेटे की याद में मां ने तोड़ा था दम

राजू गुप्ता अपनी विधवा मां का इकलौता सहारा था। राजू की मौत के बाद मां ने सिकंदरा क्षेत्र से मकान छोड़ दिया था। जगदीशपुरा इलाके में किराए पर मकान लिया था। अकेली रह गई थीं। कोई देखभाल करने वाला नहीं था। बेटे की याद में रोती रहती थीं। उनकी भी मौत हो गई थी।

 

वैश्य समाज ने किया था प्रदर्शन

राजू गुप्ता की हिरासत में मौत के मामले में वैश्य समाज ने प्रदर्शन किया था। वैश्य समाज ने पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की थी। मगर, अधिकतर पुलिसकर्मी इस मामले में बचे रहे। अब सीआइडी की चार्जशीट के बाद फंसना तय माना जा रहा है।