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नई दिल्ली
पूर्व सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा है कि आधुनिकीकरण के लिए तेज गति से काम करने की जरूरत होती है, जबकि स्वदेशीकरण में समय लगेगा। अत: इस विरोधाभास के बीच संतुलन बैठाना अहम है।
जनरल पांडे ने इस बात पर भी जोर दिया कि रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अब धीरे-धीरे कदम उठाने के बजाय छलांग लगाने का समय आ गया है।
अग्निपथ योजना के रूप में एक महत्वपूर्ण सुधार
मानेकशॉ सेंटर में आयोजित ”द वीक डिफेंस कान्क्लेव” में अपने विशेष संबोधन में उन्होंने यह भी कहा कि सेनाओं में अग्निपथ योजना के रूप में एक महत्वपूर्ण सुधार लागू किया गया है। इसे बनाने, नियोजन और क्रियान्वयन में व्यापक अंतर-मंत्रालयी और अंतर-विभागीय परामर्श तथा अत्यंत जटिल प्रकृति के समन्वय की आवश्यकता थी।
आगे बोले कि मेरा मानना है कि इस योजना को और अधिक सुदृढ़ और परिष्कृत बनाने के लिए यह प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए। उन्होंने इस क्षेत्र में किए जा रहे सुधारों और परिवर्तन के बीच मुख्य अंतर को भी स्पष्ट किया।
मौजूदा और भविष्य के सुधारों को गति देने के लिए सरकार ने 2025 को रक्षा मंत्रालय में ‘सुधारों का वर्ष’ घोषित किया है। इसका उद्देश्य सशस्त्र बलों को एकीकृत संचालन में सक्षम तकनीकी रूप से उन्नत सेना में बदलना है।
जनरल पांडे ने आधुनिकीकरण को लेकर कही ये बात
अपने संबोधन में जनरल पांडे ने आधुनिकीकरण की दिशा में काम करते हुए रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के पहलू पर भी प्रकाश डाला।
जनरल पांडे ने 29वें सेना प्रमुख के रूप में सेवाएं दी हैं
उन्होंने कहा कि आधुनिकीकरण के लिए गति की आवश्यकता होती है और यह समय की मांग है, लेकिन स्वदेशीकरण में समय लगेगा। मेरी राय में इस विरोधाभास में संतुलन बैठाना महत्वपूर्ण है। जनरल पांडे ने 29वें सेना प्रमुख के रूप में सेवाएं दी हैं। वह जून 2024 में सेवानिवृत्त हुए थे।