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नई दिल्ली
लू की अभी शुरुआत है लेकिन डॉक्टर कहते हैं कि इसे नजरअंदाज करना सेहत पर भारी पड़ सकता है। थोड़ी देर भी तेज धूप में गर्म हवा के बीच रहने से लू लग सकती है।
बाहर खुली जगह में काम करने वाले लोगों, बुजुर्गों, बच्चों, गर्भवती महिलाओं, हृदय रोग व पुरानी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को लू लगने का खतरा अधिक होता है। इसलिए लू से सतर्क रहें और बचाव के लिए पर्याप्त पानी पीते रहें। साथ ही धूप में निकलने से बचें।
सफदरजंग अस्पताल के प्रिवेंटिव कम्युनिटी मेडिसिन के निदेशक प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर ने बताया कि शरीर का सामान्य तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है। शरीर का तापमान 38 डिग्री सेल्सियस का मतलब कि तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट पहुंचना। 40 डिग्री सेल्सियस का मतलब होता है 104 डिग्री फारेनहाइट।
शरीर का थर्मल सिस्टम तापमान को नियंत्रित करता है
शरीर का तापमान 104 डिग्री पहुंच जाने पर स्थिति खराब हो जाती है। शरीर का थर्मल सिस्टम तापमान को नियंत्रित करता है लेकिन देर तक अधिक तापमान में बाहर रहने से शरीर का तापमान नियंत्रण करने ठंडा रखने का सिस्टम गड़बड़ हो जाता है। यह लू लगने का कारण बनता है। लू चलने पर बच्चे थोड़ी देर या एक घंटे भी बाहर खेलें तो उन्हें लू लग सकती है।
लू लगने पर अचानक पसीना निकलना बंद हो जाता है
लू से शुरुआत में त्वचा पर चकत्ते निकल जाते हैं और त्वचा झुलसने की समस्या होती है। इसके बाद हीट एग्जर्शन की समस्या होती है। ऐसी स्थिति में थकान, घबराहट व अधिक प्यास महसूस होती है। लू लगने (हीट) स्ट्रोक होने पर अचानक पसीना निकलना बंद हो जाता है। इस वजह से शरीर ठंडा नहीं हो पाता और तेज बुखार हो सकता है और यह जानलेवा भी हो सकती है। इसलिए धूप से बचाव जरूरी है।
एसी से निकलकर तुरंत धूप में निकलने से बचें
डॉ. जुगल किशोर ने कहा कि एसी के ठंडे कमरे से निकलकर निकलकर तुरंत धूप में जाने से भी लू लग सकती है। इसलिए एसी कमरे या एसी गाड़ी निकलकर तुरंत गर्म स्थान पर जाने से बचना चाहिए।
लू लगने के लक्षण
सिर में भारीपन, दर्द, पसीने आना बंद हो जाना, तेज बुखार के साथ मुंह सूखना, चक्कर, उल्टी, थकान, कमजोरी महसूस होना, घबराहट, अधिक प्यास लगना, पेशाब कम होना इत्यादि लक्षण होते हैं।
बचाव
- बाहर निकलने पर छाता का इस्तेमाल करें या चेहरा ढंक कर रखें।
- गर्मी अधिक होने पर प्यास न लगी हो तो भी 30-40 मिनट के अंतराल पर पानी पीते रहें।
- छाछ, बेल का शरबत, नीबू पानी भी फायदेमंद होता है।
- रेहड़ी का पानी पीने से बचें।